सन्नाटा
- Dr Mubarak khan
- Sep 13, 2021
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सन्नाटा
बहोत सन्नाटा होता है यहाँ
न जाने लोग कैसी कैसी उल्जनो की आवाज़ तले दबे है…
आज वक्त है, तो सब दुनिया के जंजाल में मसरुफ है
कल रहे ना रहे, सब अजीब कश्मकश में परेशान है
तुम सन्नाटों का तूफ़ान ले आवों..
मै हरपल ख़ुशी का सेहरा ले आवूँगा
आज ज़िंदगी है, तो सब बेकार की दुनिया बटोरने में गुम है
कल रहे ना रहे, सब दोस्त अजीब कश्मकश में परेशान है
और कितने चाँद तारे तोड़ लाओगे
यहाँ बेचारा सूरज मायूस बैठा कब का
आज कायनात में हलचल, और सब बर्बाद ये आलम मसरुफ जन्नत ये अशरफ़ीयो में है
कल रहे ना रहे, सब दोस्त अजीब कश्मकश में परेशान है
जब चला जावूँगा, छोड़ के दुनिया मै
दो लम्हे, सन्नाटा छोड़ना मेरे दोस्त,
फिर दो आंसू, और ज़िंदगी चलती रहेगी शोर में
याद रहे ना रहे, सब दोस्त अजीब कश्मकश में परेशान है
मुबारक *अंजाना*
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