मुझे दो वक्त की रोटी चाहिए आख़िरतक
क्या करु सेन्सेक्स को लेके
चंद रुपयों की बारिश कुछ लम्हों में
और करोड़ों तरसते बस एक टुकड़े को लेके !!
सबक़ुच एक भयंकर मायाजाल है
डर डर के जीने का कलियुग काल है
आसान तब भी थी, आज भी है, ए मेरी ज़िंदगी
बस लालच बहोत आ गया है , हरचीज़ को लेके !!
खाने का स्वाद नहीं, जीने का ढंग नहीं
बस बीती जा रही, लालची मतलबि ज़िंदगी,
बहोत समेट समेट के, एक दिन चल बसे
अब भाग्य को कोसते रहते , अजीब भूक लेके !!
रिश्ते नाते भी बेबस चंद अशरफ़ीयोंके मौताज
प्यार, मोहब्बत, इंसानियत तो बाज़ार में बिकते है,
अब तो जीना बस एक संगीन कारोबार है,
लालची ज़िंदगी की बर्बाद बातें, कबरीस्तान के परेशान रास्ते !!
मुझे दो वक्त की रोटी चाहिए आख़िरतक
क्या करु सेन्सेक्स को लेके
चंद रुपयों की बारिश कुछ लम्हों में
और करोड़ों तरसते बस एक टुकड़े को लेके !!
मुबारक *अंजाना*
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